ब्रिक्स मुद्रा
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वर्तमान स्थिति:
•अभी तक आधिकारिक रूप से लॉन्च नहीं किया गया
•यूएसडी के विकल्प के रूप में प्रस्तावित
•ब्रिक्स देशों द्वारा चर्चा के अधीन
मुख्य उद्देश्य:
•यूएस डॉलर पर निर्भरता कम करना
•सदस्य देशों के बीच व्यापार को सुगम बनाना
•आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ाना
•पश्चिमी वित्तीय प्रभुत्व को चुनौती देना
संभावित विशेषताएँ:
•डिजिटल मुद्रा प्रारूप
•ब्लॉकचेन-आधारित तकनीक
•सदस्य देशों के भंडार द्वारा समर्थित
•संभावित रूप से सोने द्वारा समर्थित
सदस्य देश:
•ब्राजील
•रूस
•भारत
•चीन
•दक्षिण अफ्रीका
चुनौतियाँ:
•विभिन्न आर्थिक संरचनाएँ
•मुद्रा मूल्यांकन जटिलताएँ
•राजनीतिक मतभेद
•तकनीकी कार्यान्वयन बाधाएँ
संभावित लाभ:
•लेनदेन में कमी लागत
•सरलीकृत सीमा पार व्यापार
•अमेरिकी डॉलर का कम प्रभाव
•बढ़ा हुआ आर्थिक सहयोग
कार्यान्वयन संबंधी विचार:
•धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से रोलआउट
•द्विपक्षीय व्यापार समझौते
•मजबूत तकनीकी अवसंरचना
•व्यापक कानूनी रूपरेखा
रणनीतिक निहितार्थ:
•संभावित भू-राजनीतिक बदलाव
•वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए चुनौती
•वैकल्पिक अंतर्राष्ट्रीय भुगतान तंत्र
वर्तमान प्रगति:
•प्रारंभिक चर्चाएँ जारी
•कोई ठोस कार्यान्वयन समय-सीमा नहीं
•विकास का वैचारिक चरण
भारत में विकलांगता
भारत में विकलांगता परिदृश्य:
•लगभग 26.8 मिलियन लोग (जनसंख्या का 2.21%) विकलांग हैं
•मुख्य चुनौतियों में सामाजिक कलंक, सीमित पहुँच, अपर्याप्त अवसंरचना शामिल हैं
•विकलांगताएँ शारीरिक, दृश्य, श्रवण, मानसिक और बौद्धिक विकलांगताओं से लेकर हैं
मुख्य चुनौतियाँ:
•रोज़गार के सीमित अवसर
•शैक्षणिक पहुँच की कमी
•स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढाँचे की कमी
•सामाजिक भेदभाव और हाशिए पर धकेला जाना
•पुनर्वास सेवाओं की कमी
समाधान और पहल:
•विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (2016) कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है
•सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नीतियाँ
•बुनियादी ढाँचे की पहुँच को बढ़ावा देने वाला सुगम्य भारत अभियान
•कौशल विकास और नौकरी मिलान के लिए डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म
•सहायक तकनीक और अनुकूली उपकरण सहायता
•स्वास्थ्य सेवा और पुनर्वास कार्यक्रमों में सुधार
•सामाजिक कलंक को कम करने के लिए जन जागरूकता अभियान
सरकार और नीतिगत हस्तक्षेप:
•सरकारी क्षेत्रों में 4% नौकरी आरक्षण
•वित्तीय सहायता और छात्रवृत्तियाँ
•विकलांग बच्चों के लिए मुफ़्त शिक्षा
•सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाएँ
•प्रौद्योगिकी-सक्षम शिक्षण प्लेटफ़ॉर्म
•कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम
उभरता हुआ फ़ोकस क्षेत्र:
•समावेशी शिक्षा
•कार्यस्थल पर सुविधाएँ
•तकनीकी नवाचार
•सामुदायिक एकीकरण
•आर्थिक सशक्तिकरण
इन बहुआयामी दृष्टिकोणों का उद्देश्य भारत में विकलांग व्यक्तियों का समर्थन करने वाला अधिक समावेशी वातावरण बनाना है।
भारत में पोषण संबंधी मुद्दे:
कुपोषण की चुनौतियाँ:
• 5 वर्ष से कम आयु के 34.7% बच्चे अविकसित हैं
• 20.8% कम वजन वाले हैं
• सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी का उच्च प्रसार
• महिलाओं और बच्चों में एनीमिया की महत्वपूर्ण दर
मूल कारण:
•गरीबी
• पौष्टिक भोजन तक सीमित पहुँच
•खराब स्वच्छता
• अपर्याप्त स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना
• कम आहार विविधता
• सीमित पोषण जागरूकता
सरकारी समाधान:
• एकीकृत बाल विकास सेवाएँ (ICDS)
• मध्याह्न भोजन योजना
• राष्ट्रीय पोषण मिशन (पोषण अभियान)
• खाद्य सुदृढ़ीकरण कार्यक्रम
• सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से सब्सिडी वाले खाद्यान्न
• गर्भवती महिलाओं के लिए पूरक पोषण
लक्षित हस्तक्षेप:
•स्तनपान को बढ़ावा देना
•पोषण शिक्षा
• सूक्ष्म पोषक तत्व पूरकता
•उन्नत कृषि पद्धतियाँ
•बढ़ी हुई खाद्य सुरक्षा
•समुदाय आधारित पोषण कार्यक्रम
तकनीकी और नवीन दृष्टिकोण:
• जैव-सशक्त फसल विकास
•मोबाइल स्वास्थ्य अनुप्रयोग
•टेलीमेडिसिन पोषण परामर्श
•पोषण संकेतकों की डिजिटल ट्रैकिंग
•सार्वजनिक-निजी भागीदारी
आर्थिक और सामाजिक रणनीतियाँ:
•महिला सशक्तिकरण
•आय सृजन कार्यक्रम
•बढ़ी हुई कृषि उत्पादकता
•सुधारित जल और स्वच्छता अवसंरचना
नीति, प्रौद्योगिकी और सामुदायिक सहभागिता के माध्यम से पोषण चुनौतियों को लक्षित करने वाली व्यापक, बहुआयामी रणनीतियाँ।