उच्चतम एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन परियोजना
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लद्दाख नगर समिति ने हाल ही में अपनी सबसे व्यापक एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं (आईएसडब्ल्यूएमपी) में से एक शुरू की है। चूँकि लद्दाख एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल बन गया है, इसलिए अपशिष्ट उत्पादन में काफ़ी वृद्धि हुई है।
मुख्य बिन्दु
- लद्दाख नगर समिति ने क्षेत्र की बढ़ती अपशिष्ट समस्या को दूर करने के लिए एक प्रमुख एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजना (आईएसडब्ल्यूएमपी) शुरू की है।
- पर्यटन स्थल के रूप में लद्दाख की बढ़ती लोकप्रियता ने अपशिष्ट उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है।
- भारत में वर्तमान में सालाना 62 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 4% है।
- भारत में शहरी अपशिष्ट उत्पादन 2025 तक प्रति व्यक्ति प्रति दिन 0.7 किलोग्राम तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि आर्थिक विकास और बदलते उपभोग पैटर्न के कारण 2030 तक नगरपालिका ठोस अपशिष्ट 165 मिलियन टन तक बढ़ने की उम्मीद है।
उच्चतम एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन परियोजना (आईएसडब्ल्यूएमपी) क्या है?
एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन (आईएसडब्लूएम) योजना एक व्यापक दृष्टिकोण है, जिसमें नीतियों (नियामक, वित्तीय, आदि), प्रौद्योगिकियों (बुनियादी उपकरण और परिचालन पहलुओं) और स्वैच्छिक उपायों (जागरूकता बढ़ाना, स्व-नियमन) के साथ एक प्रबन्धन प्रणाली शामिल है।
यह प्रबन्धन प्रणाली उत्पादन से लेकर संग्रह, स्थानांतरण, परिवहन, छंटाई, उपचार और निपटान तक अपशिष्ट प्रबंधन के सभी पहलुओं को शामिल करती है।
अपशिष्ट प्रबन्धन से सम्बन्धित पहल
- स्वच्छ भारत मिशन
इस मिशन के अंतर्गत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन सहित ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए स्वच्छ भारत मिशन के तहत केन्द्रीय सहायता प्रदान की जाती है।
यह मिशन स्रोत पृथक्करण, एकल - उपयोग प्लास्टिक को कम करने, निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से अपशिष्ट प्रबन्धन और विरासत अपशिष्ट डंप साइटों के जैविक उपचार पर ज़ोर देता है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियम, 2016
वर्ष 2016 के ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियमों ने वर्ष 2000 के नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबन्धन एवं हैंडलिंग) नियमों का स्थान ले लिया है।
वे स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण पर ज़ोर देते हैं, निर्माताओं को सैनिटरी और पैकेजिंग अपशिष्टों के निपटान की ज़िम्मेदारी लेने के लिए बाध्य करते हैं तथा थोक उत्पादकों से अपशिष्ट के संग्रह, निपटान और प्रसंस्करण के लिए उपयोगकर्ता शुल्क लागू करते हैं।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन (पीडब्लूएम) नियम, 2016
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन (पीडब्लूएम) नियम 2016 के तहत प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादकों को अन्य उपायों के अलावा प्लास्टिक अपशिष्ट उत्पादन को कम करने, प्लास्टिक के कचरे को फैलने से रोकने तथा यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है कि अपशिष्ट को स्रोत पर ही अलग से संग्रहित किया जाए।
- प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन (संशोधन) नियम, 2022
प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबन्धन (संशोधन) नियम, 2022 निर्माताओं, आयातकों, खुदरा विक्रेताओं और उपभोक्ताओं सहित विभिन्न हितधारकों की ज़िम्मेदारियों को दर्शाया गया है।
ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए चुनौतियाँ
- तीव्र शहरीकरण
अनियोजित शहरीकरण के कारण प्रायः अपशिष्ट संग्रहण और निपटान के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढाँचे और सेवाएँ उपलब्ध हो पाती हैं।
- सीमित पुनर्चक्रण और पुनः उपयोग
सीमित जागरूकता, अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और प्रोत्साहन की कमी रीसाइक्लिंग प्रयासों में बाधा डालती है। जब पुनर्चक्रण योग्य सामग्रियों को लैंडफिल में फेंक दिया जाता है तो मूल्यवान संसाधन बर्बाद हो जाते हैं।
- अपशिष्ट से ऊर्जा की चुनौतियाँ
यद्यपि अपशिष्ट से ऊर्जा (डब्ल्यूटीई) प्रौद्योगिकियाँ अपशिष्ट से ऊर्जा प्राप्त करने का एक साधन प्रदान करती हैं, फिर भी वायु उत्सर्जन और भस्मीकरण के पर्यावरणीय प्रभाव के बारे में चिन्ताएँ बनी हुई हैं।
आगामी कदम
- एकीकृत अपशिष्ट प्रबन्धन प्रणालियाँ
पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए स्रोत में कमी, पुनर्चक्रण, खाद निर्माण और जिम्मेदार निपटान को एकीकृत करना भी शामिल है।
- विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व (EPR)
विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (ईपीआर) नीतियों को लागू करना ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निर्माता अपने उत्पादों के जीवन - अंत प्रबन्धन के लिए उत्तरदायी हैं।
इसके अलावा अपशिष्ट उत्पादन को कम करने के लिए पर्यावरण - अनुकूल उत्पाद डिजाइन और पैकेजिंग को बढ़ावा देना।
- पर्यावरणीय सुरक्षा के साथ अपशिष्ट से ऊर्जा
वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उन्नत उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित अपशिष्ट से ऊर्जा उत्पादन सुविधाएँ स्थापित करना है।