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जानें राष्ट्रपति भवन कौन - कौन सी जगह का नाम बदला गया; देखें नए नामों की सूची

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राष्ट्रपति ‘द्रौपदी मुर्मू’ ने भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को प्रतिबिंबित करने की पहल के तहत राष्ट्रपति भवन के 2 प्रमुख हॉलों का आधिकारिक तौर पर नाम बदल दिया है।

यह नाम बदलना मोदी सरकार के तहत किए गए बदलावों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय प्रतीकों को भारत की विरासत के साथ जोड़ना है।

 

दरबार हॉल

 

‘दरबार हॉल’ का नाम बदलकर ‘गणतंत्र मंडप’ कर दिया गया है। दरबार हॉल, जो महत्वपूर्ण राष्ट्रीय आयोजनों और पुरस्कार समारोहों का स्थल था, का नाम अब भारत की गणतंत्रीय स्थिति को दर्शाने के लिए रखा गया है।

‘दरबार’ शब्द भारतीय शासकों और अंग्रेज़ों के दरबारों को संदर्भित करता था, जो भारत के गणतंत्र बनने के बाद पुराना हो गया। ‘गणतंत्र मंडप’ - यह नया नाम ‘गणतंत्र’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है - गणतंत्र, जो भारत की शासन संरचना पर ज़ोर देता है।

 

अशोक हॉल

 

अशोक हॉल, जो मूल रूप से एक बॉलरूम था, का नाम बदलकर ‘अशोक मंडप’ कर दिया गया है। ‘अशोक’ नाम का अर्थ है - ‘सभी कष्टों से मुक्त होना’ और यह सम्राट अशोक से जुड़ा है, जिन्हें शान्ति  और सामंजस्यपूर्ण सह - अस्तित्व के लिए उनके योगदान के लिए जाना जाता है।

अशोक वृक्ष, जिसका भारत में सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व है, हॉल के महत्व को और बढ़ाता है। ‘अशोक मंडप’ का नाम बदलने से भाषा में एकरूपता सुनिश्चित करने और औपनिवेशिक प्रभावों को हटाने के साथ - साथ इन मूल्यों को बनाए रखा गया है।

 

पहले भी बदला जा चुका है नाम

 

इससे पहले, राष्ट्रपति भवन में मुगल गार्डन का नाम बदलकर 'अमृत उद्यान' कर दिया गया था। ये परिवर्तन राष्ट्रपति भवन, जो भारत के राष्ट्रपति के कार्यालय और निवास दोनों के रूप में कार्य करता है, को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों और लोकाचार को प्रतिबिंबित करने के व्यापक प्रयास का हिस्सा हैं।

 

निष्कर्ष

इन हॉल का नाम बदलना राष्ट्रपति भवन को आम जनता के लिए अधिक सुलभ बनाने और यह सुनिश्चित करने के निरन्तर प्रयासों का हिस्सा है कि यह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय विरासत को संरक्षित करते हुए इसे भारतीय परंपराओं और मूल्यों के साथ अधिक निकटता से जोड़ना है।