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अरुणाचल प्रदेश अभयारण्य में पौधों की नई प्रजाति खोजी गई

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खोज ने जैव विविधता पर डाला प्रकाश

भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (बीएसआई) के शोधकर्ताओं ने अरुणाचल प्रदेश के इटानगर वन्यजीव अभयारण्य में एक नई वनस्पति प्रजाति, ‘फ्लोगाकैंथस सुधनसुसेखारी’ का खुलासा किया है।

यह रोमांचक खोज इस क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता को दर्शाती है, जो विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों का घर है।

 

प्रजाति विवरण और पहचान

यह नई प्रजाति एकेंथेसी परिवार और फ़्लोगैकैंथस जीनस से सम्बन्धित है, जिसमें 13 ज्ञात प्रजातियाँ शामिल हैं, जो मुख्य रूप से पूर्वोत्तर और पूर्वी हिमालयी राज्यों में पाई जाती हैं।

‘फ़्लोगैकैंथस सुधांसुशेखरी’ का नाम डॉ. ‘सुधांशु शेखर दाश’ के सम्मान में रखा गया है, जो एक प्रतिष्ठित बीएसआई वैज्ञानिक हैं। भारतीय हिमालयी क्षेत्र में पौधों और पारिस्थितिक अनुसंधान में इनके महत्वपूर्ण योगदान को व्यापक रूप से मान्यता मिली है।

 

शोध और प्रकाशन

इस खोज का विस्तृत विवरण ‘सम्राट गोस्वामी’ और ‘रोहन मैती’ द्वारा लिखित एक शोध पत्र में दिया गया है, जिसे इंडियन जर्नल ऑफ फॉरेस्ट्री में प्रकाशित किया गया है।

 

संरक्षण और भविष्य की सम्भावनाएँ

मुख्यमंत्री ‘पेमा खांडू’ ने इस खोज के बारे में उत्साह व्यक्त किया है और भावी पीढ़ियों के लिए अरुणाचल प्रदेश के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने के महत्व पर ज़ोर दिया।

यह खोज न केवल क्षेत्र की विविध वनस्पतियों को उजागर करती है, बल्कि संरक्षण प्रयासों को बढ़ाने की आवश्यकता पर भी ध्यान दिलाती है।

फ्लोगैकैंथस सुधनसुसेखारी विशेष रूप से भारत के पूर्वोत्तर में पाया जाता है और आमतौर पर नम, छायादार जंगलों में पनपता है, जो इसके पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

हालाँकि इसके सम्भावित स्वास्थ्य लाभ अभी भी काफ़ी हद तक अज्ञात हैं  लेकिन पारम्परिक चिकित्सा में इस पौधे का महत्वपूर्ण उपयोग हो सकता है।

यह नई प्रजाति फ़्लोगैकैंथस गुटेटस से बहुत मिलती - जुलती है लेकिन इसकी अनूठी रूपात्मक विशेषताओं के कारण इसकी पहचान अलग है, जिसमें चमकीले बैंगनी फूल और विशिष्ट पत्तियाँ शामिल हैं।