गुलबेंकियन पुरस्कार से नवाज़ा गया आंध्र प्रदेश का प्राकृतिक कृषि मॉडल
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कैलौस्ट गुलबेंकियन फाउंडेशन ने शुक्रवार को घोषणा की है कि दो भारतीय संस्थाओं को टिकाऊ कृषि में उनके अग्रणी योगदान के लिए प्रतिष्ठित 2024 गुलबेंकियन मानवता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
आंध्र प्रदेश सामुदायिक प्रबन्धित प्राकृतिक खेती (APCNF) कार्यक्रम और प्रख्यात मृदा वैज्ञानिक डॉ. ‘रतन लाल’ ने मिस्र के एक संगठन के साथ €1 मिलियन का पुरस्कार साझा किया है।
एपीसीएनएफ : अग्रणी कृषि पारिस्थितिकी कार्यक्रम
रायथु साधिकार संस्था (आरवाईएसएस) द्वारा चलाई जाने वाली एपीसीएनएफ को दुनिया की सबसे बड़ी कृषि पारिस्थितिकी पहल के रूप में मान्यता प्राप्त है, जो आंध्र प्रदेश में 500,000 हेक्टेयर में दस लाख से अधिक छोटे किसानों पर सकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
आरवाईएसएस के कार्यकारी उपाध्यक्ष ‘विजय कुमार थल्लम' ने प्राकृतिक खेती के तरीक़ों को अपनाने में सक्षम बनाकर छोटे किसानों के सशक्तिकरण के कार्यक्रम पर प्रकाश डाला है।
उन्होंने कहा है कि, "इससे किसानों और जिस मिट्टी पर वे निर्भर हैं, दोनों को बहुत लाभ है।" एपीसीएनएफ रासायनिक रूप से गहन कृषि से प्राकृतिक खेती के तरीकों में बदलाव का समर्थन करता है, जिसमें जैविक अवशेषों का उपयोग और फसल विविधीकरण शामिल है।
डॉ. रतन लाल : मृदा स्वास्थ्य के पक्षधर
कृषि के प्रति मृदा - केन्द्रित दृष्टिकोण के लिए पुरस्कृत डॉ. ‘रतन लाल’ ने खाद्य सुरक्षा को सम्बोधित करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मृदा स्वास्थ्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया है।
उन्होंने कहा, "खाद्य सुरक्षा की चुनौतियों को हल करने और वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए मृदा स्वास्थ्य और टिकाऊ कृषि महत्वपूर्ण हैं।"
पूर्व जर्मन चांसलर ‘एंजेला मर्केल’ के नेतृत्व में जूरी ने 117 देशों के 181 नामांकनों में से विजेताओं का चयन किया।
वैश्विक परिवर्तन को प्रेरित करना
APCNF का लक्ष्य अगले दशक में आंध्र प्रदेश के सभी आठ मिलियन किसान परिवारों तक पहुँचना है और इसे 12 अन्य भारतीय राज्यों में दोहराया जा रहा है।
कैलोस्टे गुलबेंकियन फाउंडेशन के बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के अध्यक्ष ‘एंटोनियो फेजो’ ने उम्मीद जताई है कि सफलता की यह कहानियाँ दुनियाभर में इसी तरह के दृष्टिकोण को प्रेरित करेंगी, जिससे एक टिकाऊ भविष्य में योगदान मिलेगा।
मर्केल ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि विजेताओं ने जलवायु - लचीले और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को किस तरह विकसित और उनपर अमल किया गया है।
महत्व और भविष्य का प्रभाव
गुलबेंकियन पुरस्कार जोकि कैलौस्ट गुलबेंकियन फाउंडेशन द्वारा मानवता के लिए शुरू किया गया है, जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के नुकसान से निपटने के प्रयासों का नेतृत्व करने वाले व्यक्तियों और संगठनों को पुरस्कृत करता है।
इस वर्ष का पुरस्कार अभिनव कृषि पद्धतियों के माध्यम से वैश्विक खाद्य सुरक्षा और जलवायु चुनौतियों का समाधान करने में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक खाद्य प्रणालियाँ लगातार बाधित हो रही हैं, ऐसे में ए.पी.सी.एन.एफ. और डॉ. लाल के प्रयासों को मान्यता मिलना टिकाऊ खेती के तरीक़ों के महत्व को उजागर करता है।
दोनों भारतीय विजेताओं ने आशा व्यक्त की है कि यह पुरस्कार उनकी पहल को आगे बढ़ाने में मदद करेगा और दुनिया भर में इसी तरह के प्रयासों को प्रेरित करेगा, जिससे टिकाऊ कृषि की दिशा में वैश्विक आंदोलन को बढ़ावा मिलेगा।