आसियान - तंत्र बैठकों में भाग लेने के लिए 3 दिवसीय यात्रा पर लाओस पहुँचे विदेश मंत्री एस जयशंकर
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विएंतियाने में आगमन
विदेश मंत्री डॉ. ‘एस. जयशंकर’ 3 दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर लाओस के विएंतियाने पहुँचे हैं। यह यात्रा आसियान ढाँचे के तहत आयोजित विदेश मंत्रियों की बैठकों में उनकी भागीदारी का हिस्सा है।
ये बैठकें क्षेत्रीय कूटनीतिक चर्चाओं और सदस्य देशों तथा उनके भागीदारों के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में काम करती हैं।
आसियान के साथ सम्बन्धों को मज़बूत करना
हाल ही में सोशल मीडिया अपडेट में डॉ. जयशंकर ने आसियान के साथ भारत के सम्बन्धों को और मज़बूत करने के लिए अपने उत्साह को उजागर किया। यह यात्रा ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रही है, जब भारत अपनी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के 10 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है।
एक दशक पहले शुरू की गई एक्ट ईस्ट पॉलिसी दक्षिण - पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के रणनीतिक और आर्थिक सम्बन्धों को बढ़ाने पर ज़ोर देती है।
आसियान बैठकों में डॉ. जयशंकर की उपस्थिति आसियान सदस्य देशों के साथ घनिष्ठ सम्बन्धों को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय रणनीतिक हितों के साथ तालमेल बिठाने के लिए भारत की निरन्तर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
द्विपक्षीय चर्चा अपेक्षित
औपचारिक बैठकों में भाग लेने के अलावा डॉ. जयशंकर से विभिन्न देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय चर्चा में भाग लेने की उम्मीद है। ये बैठकें आसियान से सम्बन्धित मुख्य कार्यक्रमों के दौरान होने की उम्मीद है।
द्विपक्षीय वार्ता व्यक्तिगत देशों के सम्बन्धों को मज़बूत करने, आपसी हितों को सम्बोधित करने और सहयोगी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर केन्द्रित होगी।
यात्रा का महत्व
विदेश मंत्रालय ने इस यात्रा के महत्व को रेखांकित किया है, जिसमें आसियान - केन्द्रित क्षेत्रीय संरचना के साथ भारत की गहरी भागीदारी को मज़बूत करने में इसकी भूमिका पर ज़ोर दिया गया है।
यह यात्रा आसियान की एकता और केन्द्रीयता के प्रति भारत के समर्पण को उजागर करती है, साथ ही इंडो - पैसिफिक (AOIP) पर आसियान आउटलुक के लिए इसके समर्थन को भी दर्शाती है।
इसके अतिरिक्त, यह आसियान - भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों में आसियान और भारत के बीच सहयोग और आपसी समर्थन को बढ़ावा देना है।
इस यात्रा को क्षेत्रीय भू - राजनीतिक परिदृश्य में भारत की भूमिका और प्रभाव को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।